Class 9 history NOTES IN HINDI CHAPTER 1
CLASS 9 HISTORY NOTES IN HINDI
CHAPTER 1 : फ्रांसीसी क्रांति
प्रश्न :- फ्रांसीसी क्रांति क्या थी और इसकी शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर :- फ्रांसीसी क्रांति :- 1789 में फ्रांस में हुई एक ऐतिहासिक क्रांति थी, जिसमें जनता ने राजा के निरंकुश शासन के खिलाफ विद्रोह कर स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के विचारों को आगे बढ़ाया।
फ्रांसीसी क्रांति के विषय में मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं :-
1. क्रांति की शुरुआत :- फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत 14 जुलाई, 1789 को बास्तील किले पर जनता के हमले से हुई।
2. बास्तील किले का महत्व :- यह किला सम्राट की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक माना जाता था, इसलिए जनता ने इसे तोड़कर राजनीतिक कैदियों को मुक्त कर दिया।
3. क्रांति के प्रमुख उद्देश्य :- इस क्रांति ने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों को जन्म दिया, जिससे राजशाही की नींव हिल गई और लोकतांत्रिक विचारों का प्रसार हुआ।
उदाहरण :-
14 जुलाई, 1789 को बास्तील किले का ध्वंस फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत का प्रतीक बन गया :- आज भी फ्रांस में यह दिन “राष्ट्रीय दिवस” (Bastille Day) के रूप में मनाया जाता है।
प्रश्न :- फ्रांसीसी क्रांति के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर :- फ्रांसीसी क्रांति कई सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और वैचारिक कारणों के चलते हुई।
निम्नलिखित कारणों ने जनता को राजा के खिलाफ विद्रोह के लिए प्रेरित किया :-
1. सामाजिक कारण :- फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों :-
(i) पादरी, कुलीन और आम जनता — में बँटा था।
(ii) पहले दो वर्गों को विशेषाधिकार मिले थे, जबकि तीसरे वर्ग पर करों का पूरा बोझ था।
(iii) मध्यम वर्ग (बुर्जुआ वर्ग) का उदय हुआ, जिसने बराबरी की मांग की।
2. राजनीतिक कारण :-
(i) राजा लुई सोलहवाँ (Louis XVI) का शासन अयोग्य और निरंकुश था।
(ii) कुलीनों और पादरियों को विशेषाधिकार प्राप्त थे, जिससे जनता में असंतोष फैल गया।
3. आर्थिक कारण :-
(i) फ्रांस पर लगभग 12 अरब लिब्रे का कर्ज था।
(ii) राजकोष खाली था और जनता भारी करों से परेशान थी।
(iii) महंगाई और भुखमरी (जीविका संकट) बढ़ गई थी।
4. तात्कालिक कारण :- राजा लुई XVI ने नए कर लगाने का प्रस्ताव रखा, जिससे जनता में असंतोष फैल गया।
5. सुधारकों एवं विचारकों का प्रभाव :- (i) रूसो, मिराबो, और आबे सियेस जैसे विचारकों ने जनता में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के विचार फैलाए। इन विचारों ने क्रांति को वैचारिक दिशा दी।
उदाहरण :-
जब राजा लुई XVI ने नए करों की घोषणा की, तब जनता में गुस्सा फैल गया और 1789 में फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत हुई।
प्रश्न :- फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक कारण क्या थे? विस्तार से समझाइए।
उत्तर :- फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक कारण :- फ्रांस के समाज की असमानता और वर्ग विभाजन में छिपे थे। समाज तीन वर्गों (एस्टेट्स) में बँटा हुआ था, जिनमें अधिकार और जिम्मेदारियाँ असमान थीं।
इस विषय में मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं :-
1. तीन वर्गों में बँटा समाज :-
(i) प्रथम एस्टेट (First Estate): इसमें चर्च के पादरी शामिल थे।
(ii) द्वितीय एस्टेट (Second Estate): इसमें कुलीन वर्ग (nobles) आते थे।
(iii) तृतीय एस्टेट (Third Estate): इसमें व्यवसायी, व्यापारी, वकील, किसान, कारीगर, और भूमिहीन मजदूर शामिल थे।
2. भूमि पर असमान अधिकार :-
(i) लगभग 60% भूमि पर कुलीनों, चर्च और अमीर वर्ग का अधिकार था।
(ii) आम जनता (तीसरा एस्टेट) भूमि पर मेहनत करती थी, पर उसके पास स्वामित्व नहीं था।
3. अन्यायपूर्ण कर व्यवस्था :-
(i) टाइद (Tithe): चर्च द्वारा तृतीय एस्टेट से लिया जाने वाला धार्मिक कर।
(ii) टाइल (Taille): सरकार द्वारा तृतीय एस्टेट से वसूला जाने वाला प्रत्यक्ष कर। पहले दो एस्टेट कर देने से पूरी तरह मुक्त थे।
4. विशेषाधिकार और असमानता :-
(i) प्रथम और द्वितीय एस्टेट को कर छूट, सरकारी पदों पर अधिकार, और राजसी जीवन का विशेषाधिकार मिला हुआ था।
(ii) सारी आर्थिक जिम्मेदारी तीसरे एस्टेट पर थी, जिससे उनमें असंतोष बढ़ा।
उदाहरण :-
एक तरफ पादरी और कुलीन विलासिता में जीवन बिता रहे थे, वहीं तृतीय एस्टेट के किसान और मजदूर भूख से जूझ रहे थे — यही असमानता क्रांति का मुख्य कारण बनी।
प्रश्न :- फ्रांसीसी क्रांति के आर्थिक कारण क्या थे? विस्तार से समझाइए।
उत्तर :- फ्रांसीसी क्रांति के प्रमुख आर्थिक कारण निम्नलिखित थे :–
1. निर्वाह संकट :- फ्रांस की जनसंख्या का 1715 में लगभग 2.3 करोड़ से बढ़कर 1789 में 2.8 करोड़ हो जाना, जिससे भोजन की मांग बढ़ गई।
2. अनाज की कमी :- अनाज का उत्पादन जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में नहीं बढ़ा, जिससे रोटी जैसी मुख्य खाद्य वस्तुओं की कीमतें बहुत बढ़ गईं।
3. मजदूरी और महँगाई :- कारखानों में मजदूरी मालिक तय करते थे, परंतु मजदूरी में वृद्धि महँगाई के अनुसार नहीं हुई, जिससे गरीबों की स्थिति और खराब हो गई।
4. अमीर-गरीब की खाई :- अमीर वर्ग के पास बहुत धन था जबकि गरीब वर्ग करों के बोझ तले दबा था। इससे सामाजिक असमानता और असंतोष बढ़ा।
5. प्राकृतिक आपदाएँ :- सूखे और ओलों की मार से फसलें नष्ट हो जातीं, जिससे रोज़ी-रोटी का संकट गहराता गया।
6. जीवन निर्वाह संकट :- खाद्यान्नों की कमी से जीविका संकट (Subsistence Crisis) बार-बार उत्पन्न हुआ, जिसने लोगों को विद्रोह के लिए प्रेरित किया।
उदाहरण :-
1780 के दशक में लगातार खराब फसलों और बढ़ती कीमतों के कारण पेरिस में रोटी के दाम बहुत बढ़ गए, जिससे जनता भुखमरी की कगार पर पहुँच गई — यह स्थिति फ्रांसीसी क्रांति का प्रमुख कारण बनी।
प्रश्न :- फ्रांसीसी क्रांति के राजनीतिक कारण क्या थे? विस्तार से समझाइए।
उत्तर :- फ्रांसीसी क्रांति के राजनीतिक कारण निम्नलिखित थे :-
1. अयोग्य शासन :- राजा लुई सोलहवाँ (Louis XVI) कमजोर और निर्णयहीन शासक था। उसके शासनकाल में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और अव्यवस्था बढ़ गई।
2. निरंकुश राजशाही :- राजा के पास असीमित शक्तियाँ थीं। वह बिना जनता की सहमति के कर लगाता और निर्णय लेता था। इससे जनता में असंतोष फैल गया।
3. विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग :- पादरी और कुलीन वर्ग को जन्म से विशेष अधिकार मिले हुए थे, जैसे करों से छूट और ऊँचे पदों पर अधिकार। इससे सामान्य जनता में रोष बढ़ा।
4. मध्यम वर्ग का उदय :- वकील, शिक्षक, व्यापारी, लेखक और विचारक जैसे शिक्षित मध्यम वर्ग ने जन्म पर आधारित भेदभाव का विरोध किया और समानता, स्वतंत्रता की माँग उठाई।
5. राजनीतिक सुधार की माँग :- जनता ने ऐसी शासन व्यवस्था की माँग की जिसमें सबको समान अधिकार मिले और राजा की शक्ति सीमित की जाए।
उदाहरण :-
मध्यम वर्ग के विचारकों जैसे रूसो, मोंतेस्क्यू और वोल्टेयर ने निरंकुश राजशाही की आलोचना करते हुए जनसत्ता और समानता के विचार फैलाए — यही विचार आगे चलकर फ्रांसीसी क्रांति की नींव बने।
प्रश्न :- फ्रांस में मध्यवर्ग का उदय कैसे हुआ और इसकी क्या भूमिका रही?
उत्तर :- फ्रांस में मध्यवर्ग का उदय और इसकी भूमिका निम्नलिखित है :-
1. मध्यवर्ग का उदय :- 18वीं शताब्दी में फ्रांस में एक नए सामाजिक वर्ग का विकास हुआ जिसे मध्यवर्ग कहा गया।
2. आर्थिक स्थिति :- इस वर्ग ने व्यापार, ऊनी तथा रेशमी वस्त्रों के उत्पादन, और उद्योग के माध्यम से काफी संपत्ति अर्जित की।
3. शिक्षित वर्ग :- मध्यवर्ग के लोग शिक्षित थे — इनमें वकील, शिक्षक, व्यापारी, लेखक और विचारक शामिल थे।
4. विशेषाधिकारों का विरोध :- इनका मानना था कि किसी भी व्यक्ति को केवल जन्म के आधार पर विशेषाधिकार नहीं मिलने चाहिए।
5. समानता की माँग :- उन्होंने समाज में समानता, स्वतंत्रता और न्याय के विचारों को फैलाया तथा फ्रांसीसी क्रांति की नींव रखी।
उदाहरण :-
रूसो, मोंतेस्क्यू और वोल्टेयर जैसे शिक्षित मध्यम वर्ग के विचारकों ने समानता और स्वतंत्रता के विचार फैलाकर जनता को राजशाही के विरुद्ध जागरूक किया।
प्रश्न :- लुई XVI के शासनकाल में फ्रांस की आर्थिक स्थिति क्यों खराब हुई?
उत्तर :- 1774 में लुई XVI फ्रांस के बूर्बन राजवंश का राजा बना। उसका विवाह ऑस्ट्रिया की राजकुमारी मेरी एन्तोआनेत से हुआ था।
लुई XVI के शासनकाल में फ्रांस की आर्थिक स्थिति निम्नलिखित कारणों से खराब हुई :-
1. राजा के शासनकाल की शुरुआत में ही फ्रांस का राजकोष खाली था।
2. लंबे युद्धों में धन का अत्यधिक व्यय हुआ।
3. पूर्ववर्ती राजाओं ने अपनी शानो-शौकत पर बहुत फिजूलखर्ची की।
4. अमेरिका की स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटेन के विरुद्ध सहायता देने से भारी आर्थिक नुकसान हुआ।
5. जनसंख्या बढ़ने और जीविका संकट के कारण राजस्व में कमी आई।
उदाहरण :-
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटेन के खिलाफ फ्रांस की भागीदारी ने उसके खजाने को खाली कर दिया और यही आगे चलकर फ्रांसीसी क्रांति का एक बड़ा कारण बना।
नोट :-
आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लुई XVI ने नए कर लगाने का प्रस्ताव रखा, जिससे जनता में असंतोष फैल गया।
प्रश्न :- फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत कैसे हुई? सम्पूर्ण घटनाचक्र बताइए।
उत्तर :- फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत का सम्पूर्ण घटनाचक्र निम्नलिखित है :-
1. एस्टेट्स जनरल की बैठक :- 5 मई 1789 को लुई XVI ने नए करों के प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए एस्टेट्स जनरल की बैठक बुलाई। किसानों, महिलाओं और कारीगरों को इसमें प्रवेश की अनुमति नहीं थी।
2. शिकायतों की सूची :- लगभग 40,000 शिकायत-पत्रों के माध्यम से जनता की समस्याएँ और माँगें प्रतिनिधियों तक पहुँचीं।
3. मतदान की असमान व्यवस्था :- एस्टेट्स जनरल में प्रत्येक वर्ग (एस्टेट) को केवल एक वोट का अधिकार था। इससे तृतीय एस्टेट के लोगों को अन्यायपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ा।
4. आर्थिक संकट और भूखमरी :- कड़ाके की ठंड और खराब फसलों के कारण रोटी की कीमतें बहुत बढ़ गईं। बेकरी मालिकों द्वारा जमाखोरी से जनता में गुस्सा बढ़ गया और महिलाओं ने दुकानों पर धावा बोल दिया।
5. बास्तील किले पर हमला :- राजा द्वारा सेना को पेरिस में बुलाने की खबर से जनता भड़क उठी। 14 जुलाई 1789 को भीड़ ने बास्तील किले पर धावा बोलकर उसे नष्ट कर दिया और यह फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत का प्रतीक बन गया।
6. ग्रामीण क्षेत्रों में विद्रोह :- अफवाह फैल गई कि ज़मींदारों ने लुटेरों को भेजा है जो फसलें बर्बाद करेंगे। किसानों ने ग्रामीण किलों पर हमला किया, अन्न-भंडार लूटे और लगान संबंधी दस्तावेज़ जला दिए।
7. कुलीनों का पलायन :- डरे हुए कई कुलीन अपनी जागीरें छोड़कर पड़ोसी देशों में भाग गए।
उदाहरण :-
14 जुलाई 1789 को बास्तील किले पर जनता के हमले को फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत माना जाता है, जो राजशाही की निरंकुशता के खिलाफ जनता के विद्रोह का प्रतीक था।
प्रश्न :- फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना कैसे हुई?
उत्तर :- फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना :-
1. नेशनल असेंबली की घोषणा (20 जून 1789) :- तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधि वर्साय के एक टेनिस कोर्ट में एकत्र हुए और स्वयं को नेशनल असेंबली घोषित किया। उन्होंने फ्रांस के लिए संविधान बनाने का संकल्प लिया।
2. लुई XVI की मान्यता :- शुरुआत में राजा लुई XVI ने विद्रोही प्रजा की इस शक्ति को कम आँका, परंतु बाद में उसे नेशनल असेंबली को मान्यता देनी पड़ी।
3. सामंती व्यवस्था का अंत (4 अगस्त 1789) :- नेशनल असेंबली ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए करों, कर्तव्यों और बंधनों वाली सामंती व्यवस्था को समाप्त कर दिया।
4. संविधान की घोषणा (1791) :- 1791 में एक नया संविधान लागू किया गया, जिससे फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र (Constitutional Monarchy) की नींव पड़ी। अब राजा की शक्तियाँ सीमित हो गईं और शासन संविधान के अनुसार चलने लगा।
उदाहरण :-
1791 का संविधान लागू होने के बाद फ्रांस में राजा लुई XVI केवल नाम मात्र का शासक रह गया, जबकि वास्तविक सत्ता नेशनल असेंबली के पास आ गई — यही संवैधानिक राजतंत्र की शुरुआत थी।
प्रश्न :- नेशनल असेंबली का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर :- नेशनल असेंबली के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य थे :-
1. सम्राट की शक्तियों को सीमित करना :- नेशनल असेंबली का सबसे प्रमुख उद्देश्य था — राजा की निरंकुश शक्तियों को घटाकर उसे संविधान के अधीन करना।
2. शक्तियों का विभाजन :- एक व्यक्ति (राजा) के हाथ में सभी शक्तियाँ न रहें, इसलिए उन्हें तीन भागों में बाँट दिया गया :-
(i) विधायिका (Legislature) – कानून बनाने का कार्य
(ii) कार्यपालिका (Executive) – कानून लागू करने का कार्य
(iii) न्यायपालिका (Judiciary) – न्याय देने का कार्य
3. संविधान की स्थापना (1791) :- सन् 1791 के संविधान ने कानून बनाने का अधिकार नेशनल असेंबली को दे दिया, जिससे फ्रांस में संवैधानिक शासन की शुरुआत हुई।
उदाहरण :-
1791 के संविधान के लागू होने के बाद फ्रांस में राजा की शक्तियाँ घट गईं और नेशनल असेंबली को कानून बनाने का अधिकार मिल गया — यही संवैधानिक राजतंत्र का आधार बना।
प्रश्न :- 1791 के नए संविधान के अनुसार फ्रांस में क्या प्रावधान किए गए थे?
उत्तर :- 1791 के नए संविधान के अनुसार फ्रांस में निम्नलिखित प्रावधान किए गए थे :-
1. मतदान का अधिकार (Active Citizens) :- 1791 के संविधान के अनुसार मतदान का अधिकार केवल सक्रिय नागरिकों को दिया गया। सक्रिय नागरिक वे थे जो (i) पुरुष थे, (ii) जिनकी उम्र 25 वर्ष से अधिक थी, और (iii) जो कम से कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे।
2. निष्क्रिय नागरिक (Inactive Citizens) :- महिलाएँ और वे पुरुष जो उपरोक्त शर्तें पूरी नहीं करते थे, उन्हें निष्क्रिय नागरिक कहा गया। इन नागरिकों को मतदान या राजनीतिक भागीदारी का अधिकार नहीं था।
3. शक्तियों का विभाजन :- राजा की शक्तियों को तीन संस्थाओं में बाँट दिया गया :-
(i) विधायिका (Legislature) – कानून बनाने के लिए,
(ii) कार्यपालिका (Executive) – कानून लागू करने के लिए,
(iii) न्यायपालिका (Judiciary) – न्याय करने के लिए।
उदाहरण :-
1791 के संविधान के बाद केवल 25 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष करदाता ही मतदाता बने, जबकि महिलाएँ राजनीतिक अधिकारों से वंचित रहीं।
प्रश्न :- फ्रांसीसी क्रांति में राजनीतिक प्रतीकों के क्या मायने थे?
उत्तर :- 18वीं सदी में अधिकतर लोग अशिक्षित थे, इसलिए विचारों को शब्दों की जगह आकृतियों और प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया जाता था।
प्रमुख राजनीतिक प्रतीक और उनके अर्थ निम्नलिखित थे :-
1. टूटी हुई जंजीर :- दासों को बाँधने के लिए जंजीरों का प्रयोग किया जाता था। टूटी हुई जंजीर स्वतंत्रता और आज़ादी का प्रतीक थी।
2. छड़ों का गट्ठर :- अकेली छड़ आसानी से टूट सकती है, लेकिन पूरा गट्ठर नहीं। यह एकता में बल का प्रतीक था।
3. त्रिभुज के अंदर सर्वदर्शी आँख :- यह ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक था। आँख से निकलती सूरज की किरणें अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाने का संकेत देती थीं।
4. राजदंड :- यह शाही सत्ता और अधिकार का प्रतीक था।
5. साँप (अपनी पूँछ मुँह में लिए हुए) :- यह समानता और एकता का प्रतीक था, क्योंकि इसकी अंगूठी जैसी आकृति का कोई आरंभ या अंत नहीं होता।
उदाहरण :-
फ्रांस की जनता ने बास्तील किले के विनाश को आज़ादी का प्रतीक माना, और टूटी हुई जंजीर ने उस आज़ादी की भावना को चित्र के रूप में व्यक्त किया।
प्रश्न :- फ्रांसीसी क्रांति के दौरान “आतंक का युग” किसे कहा जाता है और क्यों?
उत्तर :- आतंक का युग (1793–1794) :- सन 1793 से 1794 तक का समय फ्रांस में “आतंक का युग” कहलाता है। इस दौरान रोबिस्प्येर ने शासन संभाला और अत्यंत कठोर नीतियाँ लागू कीं।
निम्नलिखित कारणों से इसे आतंक का युग कहा गया :-
1. उसने गणतंत्र के शत्रुओं — कुलीनों, पादरियों और असहमति रखने वाले व्यक्तियों — को गिरफ्तार करवाया।
2. इन लोगों पर एक क्रांतिकारी न्यायालय में मुकदमे चलाए गए।
3. जो दोषी पाए जाते, उन्हें गिलोटिन पर चढ़ाकर सिर कलम कर दिया जाता था।
4. किसानों को सरकार द्वारा तय की गई कीमत पर ही अनाज शहरों में बेचने के लिए मजबूर किया गया।
उदाहरण :-
गणतंत्र के विरोधियों को सज़ा देने के लिए रोबिस्प्येर द्वारा गिलोटिन का प्रयोग करना, फ्रांस में फैले भय और आतंक का सबसे बड़ा प्रतीक था।
नोट :-
रोबिस्प्येर की नीतियाँ इतनी कठोर थीं कि उसके अपने समर्थक भी उसके खिलाफ हो गए। अंततः जुलाई 1794 में उसे गिरफ्तार किया गया और गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया।
प्रश्न :- गिलोटिन क्या था?
उत्तर :- गिलोटिन :- एक ऐसी मशीन थी जिसका उपयोग अपराधियों या दोषियों का सिर धड़ से अलग करने के लिए किया जाता था।
गिलोटिन के विषय में मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं :-
1. संरचना :- यह मशीन दो मजबूत खंभों के बीच लटकते भारी आरे (तेज धार वाले ब्लेड) से बनी होती थी। अपराधी को लकड़ी के तख्ते पर लिटाकर उसका सिर मशीन के नीचे रखा जाता था।
2. उपयोग :- फ्रांसीसी क्रांति के दौरान विशेष रूप से आतंक के युग (1793–1794) में इसका प्रयोग बड़े पैमाने पर हुआ।
3. नामकरण :- इस मशीन का नाम इसके आविष्कारक डॉ. गिलोटिन के नाम पर रखा गया था।
उदाहरण :-
फ्रांस में क्रांति के समय रोबिस्प्येर और कई कुलीन वर्ग के लोगों को गिलोटिन पर चढ़ाकर दंडित किया गया।
प्रश्न :- डिरेक्टरी शासित फ्रांस क्या था?
उत्तर :- डिरेक्टरी शासित फ्रांस :- रोबिस्प्येर के पतन (1794) के बाद फ्रांस में आतंक का युग समाप्त हो गया। अब शासन की बागडोर मध्यम वर्ग के सम्पन्न लोगों के हाथ में आ गई।
इस विषय में मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं :-
1. डिरेक्टरी की स्थापना :- मध्यम वर्ग के सम्पन्न लोगों ने पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका “डिरेक्टरी” का गठन किया जो फ्रांस के शासन की देखरेख करती थी।
2. राजनीतिक अस्थिरता :- डिरेक्टरी और विधान परिषद के बीच हितों का टकराव होने लगा, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई।
उदाहरण :-
नेपोलियन का सत्ता में आना फ्रांस की क्रांति के गणराज्यवादी शासन से सम्राज्यवादी शासन में परिवर्तन का प्रतीक था।
नोट :-
नेपोलियन का उदय :- राजनीतिक अस्थिरता का लाभ नेपोलियन बोनापार्ट ने उठाया। 1799 में उसने डिरेक्टरी को समाप्त कर दिया और 1804 में फ्रांस का सम्राट बन गया।
प्रश्न :- नेपोलियन कौन था और उसने क्या किया?
उत्तर :- सन 1804 में नेपोलियन बोनापार्ट ने स्वयं को फ्रांस का सम्राट घोषित किया।
नेपोलियन के द्वारा किए गए मुख्य कार्य निम्नलिखित थे :-
1. विस्तार नीति :- उसने पड़ोसी यूरोपीय देशों पर विजय प्राप्त करने के लिए अनेक युद्ध किए। वह वहाँ के पुराने राजवंशों को हटाकर अपने परिवार के सदस्यों को शासक बनाता था।
2. सुधारक के रूप में भूमिका :- नेपोलियन ने अपने आप को यूरोप का आधुनिकीकरणकर्ता (Moderniser) माना। उसने प्रशासन, कानून और शिक्षा में कई सुधार किए।
3. अंत :- अंततः सन 1815 में “वाटरलू” के युद्ध में नेपोलियन को पराजय का सामना करना पड़ा।
उदाहरण :-
वाटरलू की लड़ाई (1815) में नेपोलियन की हार के बाद उसका शासन समाप्त हो गया और यूरोप में राजतंत्र की पुनर्स्थापना हुई।
प्रश्न :- फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं की क्या भागीदारी थी?
उत्तर :- फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं की भागीदारी :- महिलाएं फ्रांस में आरंभ से ही समाज में परिवर्तन लाने वाली गतिविधियों में शामिल रही। वे प्रदर्शनों, सभाओं और क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लेती थीं।
इसके मुख्य कारण निम्नलिखित थे :-
1. जीवन-यापन के साधन :- ज्यादातर महिलाएं सलाई बुनाई, कपड़े धोना, फल-सब्जी बेचना जैसे कार्यों से जीविका चलाती थीं।
2. शिक्षा की कमी :- अधिकांश महिलाओं को पढ़ाई-लिखाई के अवसर नहीं मिलते थे, यह अवसर केवल कुलीन या धनी परिवारों की लड़कियों को ही प्राप्त थे।
3. पारिवारिक जिम्मेदारियाँ :- महिलाओं को खाना बनाना, पानी लाना, पावरोटी (रोटी) की लाइन में लगना और बच्चों की देखभाल करनी पड़ती थी।
4. असमान मजदूरी :- उन्हें पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी दी जाती थी।
5. मुख्य मांग :- महिलाओं की प्रमुख मांग थी कि उन्हें पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार दिए जाएँ, जैसे — मतदान का अधिकार और सार्वजनिक पदों पर समान अवसर।
उदाहरण :-
क्रांति के दौरान ओलंप डे गूज (Olympe de Gouges) नामक महिला ने “महिलाओं और नागरिक महिला अधिकारों की उद्घोषणा” (1791) प्रकाशित की, जिसमें उसने महिलाओं के लिए समान अधिकारों की मांग की थी।
प्रश्न :- महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए फ्रांसीसी क्रांति के दौरान कौन-कौन से कदम उठाए गए?
उत्तर :- महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए फ्रांसीसी क्रांति के दौरान निम्नलिखित कदम उठाए गए :-
1. शिक्षा का अधिकार :- क्रांतिकारी सरकार ने सरकारी विद्यालयों की स्थापना की और सभी लड़कियों के लिए शिक्षा को अनिवार्य कर दिया।
2. विवाह में स्वतंत्रता :- अब पिता अपनी बेटियों को उनकी इच्छा के विरुद्ध विवाह के लिए बाध्य नहीं कर सकते थे।
3. व्यवसायिक स्वतंत्रता :- महिलाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण लेने, कलाकार बनने और छोटे-मोटे व्यवसाय चलाने की अनुमति दी गई।
4. समानता के लिए संघर्ष :- महिलाओं ने समान वेतन और मताधिकार के लिए आंदोलन जारी रखा, जो अगली सदी तक कई देशों में चलता रहा।
5. मताधिकार की प्राप्ति :- अंततः सन 1946 में फ्रांस की महिलाओं को मतदान का अधिकार (मताधिकार) मिल गया।
उदाहरण :-
क्रांति के बाद के वर्षों में महिला अधिकार समूहों ने लगातार “समान कार्य के लिए समान वेतन” और “राजनीतिक भागीदारी” की मांग की, जिसका परिणाम था — 1946 में महिलाओं को पूर्ण मताधिकार।
प्रश्न :- फ्रांस में दास प्रथा का उन्मूलन कैसे हुआ?
उत्तर :- दास व्यापार की शुरुआत :- 17वीं सदी में फ्रांसीसी सौदागर अफ्रीका से दास खरीदकर उन्हें कैरिबियाई देशों में बेचने लगे। दासों को हथकड़ियों में बाँधकर जहाजों में ठूंस दिया जाता था और वे 3 महीने की कठिन समुद्री यात्रा के बाद बागानों में बेच दिए जाते थे। बोर्दो (Bordeaux) और नान्ते (Nantes) जैसे बंदरगाह दास व्यापार के कारण अत्यधिक समृद्ध हुए। 18वीं सदी तक फ्रांस में दास प्रथा की खुलकर निंदा नहीं की गई।
फ्रांस में दास प्रथा का उन्मूलन निम्नलिखित दो चरणों में हुआ :-
1. दासों की मुक्ति :- सन 1794 में नेशनल कन्वेंशन ने फ्रांसीसी उपनिवेशों में दासों की मुक्ति का कानून पारित किया।
2. पुनः लागू और समाप्ति :- 10 वर्ष बाद नेपोलियन ने दास प्रथा पुनः शुरू कर दी, परंतु 1848 में इसे अंतिम रूप से समाप्त कर दिया गया।
उदाहरण :-
कैरिबियाई द्वीप सेंट डोमिंग (Saint Domingue) में दासों ने विद्रोह कर स्वतंत्र गणराज्य “हैती” की स्थापना की, जिससे फ्रांसीसी दास प्रथा के अंत की नींव पड़ी।
प्रश्न :- फ्रांसीसी क्रांति के बाद रोज़मर्रा की ज़िंदगी में क्या परिवर्तन आए?
उत्तर :- फ्रांसीसी क्रांति के बाद रोज़मर्रा की ज़िंदगी में निम्नलिखित परिवर्तन आए :-
1. जीवन में परिवर्तन :- 1789 की क्रांति के बाद फ्रांस के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के जीवन में कई सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन आए।
2. स्वतंत्रता और समानता के आदर्श :- क्रांतिकारी सरकार ने नए कानून बनाकर स्वतंत्रता एवं समानता के सिद्धांतों को लोगों के दैनिक जीवन में लागू करने का प्रयास किया।
3. जन-जागरूकता का विस्तार :- फ्रांस के शहरों में अखबार, पुस्तकें और चित्रों की संख्या बहुत बढ़ गई। इनके माध्यम से लोगों को घटनाओं और सुधारों की जानकारी मिलने लगी।
4. गाँवों तक प्रभाव :- इन छपी हुई सामग्रियों के ज़रिए क्रांति के विचार गाँव-गाँव तक फैल गए और आम जनता में नई सोच और चेतना का विकास हुआ।
उदाहरण :-
अख़बारों में छपने वाले क्रांतिकारी भाषणों और चित्रों ने लोगों में समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे की भावना को मज़बूत किया।