Class 10 Science Notes in hindI Chapter - 6
CLASS 10 SCIENCE NOTES IN HINDI
CHAPTER 6 : नियंत्रण एवं समन्वय
प्रश्न :- नियंत्रण एवं समन्वय से आप क्या समझते है?
उत्तर :- नियंत्रण और समन्वय का अर्थ :- जीवों में होने वाले विभिन्न जैविक क्रियाएँ एक साथ चलते रहते हैं, तथा इन सभी क्रियाओं के बीच सामंजस्य बनाए रखने के लिए समन्वय की आवश्यकता होती है। इस सामंजस्य को बनाए रखने के लिए जो प्रणाली काम करती है, वह नियंत्रण कहलाती है।
प्रश्न :- उद्दीपन से आप क्या समझते है?
उत्तर :- उद्दीपन :- पर्यावरण में होने वाले वे सभी बदलाव, जिनके अनुसार सजीव प्रतिक्रिया करते हैं, उन्हें उद्दीपन कहा जाता है।
उदाहरण :-
प्रकाश, तापमान (ऊष्मा और ठंडक), ध्वनि, गंध, और स्पर्श आदि को उद्दीपन के रूप में देखा जा सकता है।
नोट :-
पौधे तथा जन्तु विभिन्न तरीकों से इन उद्दीपनों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया करते हैं।
प्रश्न :- जंतुओं में नियंत्रण तथा समन्वय किन तंत्रों द्वारा किया जाता है?
उत्तर :- जंतुओं में नियंत्रण तथा समन्वय दो मुख्य तंत्रों द्वारा किया जाता है:-
1. तंत्रिका तंत्र
2. अंत: स्रावी तंत्र
प्रश्न :- तंत्रिका तंत्र क्या है?
उत्तर :- तंत्रिका तंत्र :- तंत्रिका तंत्र तंत्रिका कोशिकाओं अथवा न्यूरॉन्स के एक व्यवस्थित नेटवर्क (संगठित जाल) से बना होता है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों के बीच विद्युत आवेगों के माध्यम से सूचना का आदान-प्रदान करता है। नियंत्रण और समन्वय कार्य तंत्रिका तंतु (नर्वस टिश्यू) और पेशीय (मांसपेशी) ऊतक के द्वारा संपन्न होते हैं।
प्रश्न :- ग्राही से आप क्या समझते है?
उत्तर :- ग्राही :- ग्राही वह विशिष्ट तंत्रिका कोशिकाएँ होती हैं, जो वातावरण से बाहरी सूचनाओं को ग्रहण करती हैं। ये ग्राही हमारे ज्ञानेन्द्रियों में विद्यमान होते हैं, और विभिन्न प्रकार के उद्दीपनों का पता लगाते हैं।
उदाहरण :-
1. कान में: श्रवणग्राही (सुनने और शरीर के संतुलन को समझने में मदद करते हैं)
2. आँख में: प्रकाशग्राही (देखने का कार्य करते हैं)
3. नाक में: घ्राणग्राही (गंध का पता लगाते हैं)
4. जीभ में: रसग्राही (स्वाद का अनुभव करते हैं)
5. त्वचा में: तापग्राही (गर्म, ठंडा और स्पर्श का अनुभव करते हैं)
प्रश्न :- तंत्रिका कोशिका क्या है?
उत्तर :- तंत्रिका कोशिका :- यह तंत्रिका तंत्र की मूल क्रियात्मक और संरचनात्मक इकाई होती है।
प्रश्न :- तंत्रिका कोशिका के कितने भाग होते है?
उत्तर :- तंत्रिका कोशिका के तीन भाग होते है:-
1. द्रुमिका (Dendrites) :- ये कोशिका काय से निकलने वाली शाखाओं जैसी संरचनाएँ होती हैं, जो सूचना को एकत्र करती हैं और उसे कोशिका काय तक पहुँचाती हैं।
2. कोशिका काय (Cell body) :- इसमें नाभिक और अन्य कोशिकीय अंग होते हैं, यह न्यूरॉन का केंद्रीय भाग होता है, यहाँ पर प्राप्त सूचना विद्युत आवेग के रूप में परिवर्तित होकर तंत्रिका कोशिका के अन्य भागो (हिस्सों) तक भेजी जाती है।
3. तंत्रिकाक्ष (Axon) :- यह लंबी, तार जैसी संरचनाएँ होती है जो कोशिका काय से निकलकर सूचना को विद्युत आवेग के रूप में अन्य न्यूरॉन की द्रुमिकाओं या अन्य अंगों तक पहुँचाती है।
प्रश्न :- अंतर्ग्रथन (सिनैप्स) क्या है?
उत्तर :- अंतर्ग्रथन (सिनैप्स) :- यह तंत्रिका कोशिका के तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन) के अंतिम सिरे और अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका (Dendrite) के रिक्त स्थान अथवा बीच का अंतराल होता है। इस स्थान पर विद्युत आवेग रासायनिक संकेतों में परिवर्तित होते हैं, जिससे सूचना अगले न्यूरॉन तक संचरित हो सके।
प्रश्न :- प्रतिवर्ती क्रिया से आप क्या समझते है?
उत्तर :- प्रतिवर्ती क्रिया :- वह क्रिया जो किसी उद्दीपन के जवाब में स्वाभाविक रूप से तुरंत होती है।
उदाहरण :-
जब कोई व्यक्ति गर्म वस्तु को छूता है, तो उसका हाथ स्वत: पीछे हट जाता है।
प्रश्न :- प्रतिवर्ती चाप से आप क्या समझते है?
उत्तर :- प्रतिवर्ती चाप :- वह मार्ग है, जिस पर विद्युत आवेग प्रतिवर्ती क्रिया के समय प्रवाहित होते हैं।
प्रश्न :- अनुक्रिया (Response) का क्या अर्थ है?
उत्तर :- अनुक्रिया (Response) का अर्थ है किसी उद्दीपन या उत्तेजना के प्रति शरीर या मन से प्रतिक्रिया देना।
प्रश्न :- अनुक्रिया कितने प्रकार के होते है?
उत्तर :- अनुक्रिया निम्नलिखित तीन प्रकार की होती है :-
1. ऐच्छिक :- यह क्रियाएँ अग्रमस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती हैं।
उदाहरण :-
बोलना तथा लिखना आदि।
2. अनैच्छिक :- यह क्रियाएँ मध्य और पश्चमस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती हैं।
उदाहरण :-
श्वसन तथा दिल की धड़कन आदि।
3. प्रतिवर्ती क्रिया :- ये क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती हैं।
उदाहरण :-
जब कोई व्यक्ति गर्म वस्तु को छूता है, तो उसका हाथ स्वतः पीछे हट जाता है।
प्रश्न :- प्रतिवर्ती क्रिया की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर :- प्रतिवर्ती क्रिया की आवश्यकता :- कभी-कभी, हमें तुरंत प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता होती है, जैसे गर्म वस्तु को छूने या चुभने वाली वस्तु के चुभने पर, ताकि शरीर को कोई हानि न पहुंचे। इन स्थितियों में, प्रतिक्रिया मस्तिष्क की बजाय मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित होती है, जो इसे बहुत तेज और त्वरित बनाती है।
प्रश्न :- तंत्रिका तंत्र के मुख्य कार्य कौन-कौन से है?
उत्तर :- तंत्रिका तंत्र के मुख्य कार्य निम्नलिखित है :-
1. शरीर में हो रहे परिवर्तनों के बारे में जानकारी प्रदान करना।
2. शरीर के विभिन्न अंगों के बीच सामंजस्य स्थापित करना।
3. आसपास से सूचनाओं को एकत्र करना और उनका विश्लेषण करना।
4. ऊतकों में तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न आवेग को तंत्रिका तंत्र तक पहुँचाना और अंगों को निर्देशित करना।
प्रश्न :- मानव तंत्रिका तंत्र कौन-कौन से है?
उत्तर :- मानव तंत्रिका तंत्र है :-
1. मस्तिष्क
2. मेरुरज्जू
प्रश्न :- मेरुरज्जु का क्या कार्य है और यह किस प्रकार मस्तिष्क के साथ मिलकर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का निर्माण करता है?
उत्तर :- मेरुरज्जु का कार्य :- मानव शरीर की तंत्रिकाएँ मेरुरज्जु में इकट्ठा होती हैं और मस्तिष्क तक जाने वाले रास्ते में एक समूह के रूप में व्यवस्थित हो जाती हैं। मेरुरज्जु तंत्रिकाओं से बना होता है, तथा यह मस्तिष्क को सूचना भेजने का कार्य करती हैं, जिससे सोचने की जटिल (कठिन) प्रक्रियाएँ और तंत्रिकीय संबंध बनते हैं। ये सभी तंत्रिकाएँ मस्तिष्क में संगठित होती हैं, जो कि शरीर का मुख्य समन्वय केंद्र है। मस्तिष्क और मेरुरज्जु मिलकर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का निर्माण करते हैं।
प्रश्न :- मानव मस्तिष्क के तीन मुख्य भाग कौन से हैं और मस्तिष्क का मुख्य कार्य क्या होता है?
उत्तर :- मानव मस्तिष्क :- मस्तिष्क हमारे शरीर की सभी गतिविधियों के समन्वय का प्रमुख केंद्र है। यह तीन प्रमुख भागों में बांटा जाता है:
1. अग्रमस्तिष्क
2. मध्य मस्तिष्क
3. पश्चमस्तिष्क
प्रश्न :- अग्रमस्तिष्क का प्रमुख कार्य क्या हैं और यह मस्तिष्क का किस प्रकार का भाग होता है?
उत्तर :- अग्रमस्तिष्क :- यह मस्तिष्क का सबसे जटिल और विशिष्ट हिस्सा होता है, जिसे प्रमस्तिष्क भी कहा जाता है।
अग्रमस्तिष्क के कार्य :-
1. यह मस्तिष्क का प्रमुख हिस्सा है जो सोचने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
2. ऐच्छिक कार्यों का नियंत्रण करता है।
3. सूचनाओं को संचित और याद रखने का कार्य करता है।
4. शरीर के विभिन्न भागों से सूचनाओं को इकट्ठा करके उनका समायोजन करता है।
5. यह भूख से संबंधित केन्द्र का कार्य करता है।
प्रश्न :- मध्यमस्तिष्क का मुख्य कार्य क्या है और यह किस प्रकार की क्रियाओं को नियंत्रित करता है?
उत्तर :- मध्यमस्तिष्क :- यह मस्तिष्क का वह भाग (हिस्सा) है जो अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
उदाहरण :-
1. पुतली के आकार में परिवर्तन
2. सिर प्रतिवर्ती क्रियाएँ।
3. गर्दन की प्रतिवर्ती क्रियाएँ आदि।
प्रश्न :- पश्चमस्तिष्क के मुख्य भाग कौन से हैं और ये किस प्रकार की क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं?
उत्तर :- पश्चमस्तिष्क :- यह मस्तिष्क का वह भाग (हिस्सा) है जो अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रण में रखता है।
उदाहरण :-
1. रक्तदाब
2. लार आना
3. वमन (Vomiting)
इन सभी क्रियाओं को पश्चमस्तिष्क के मेडुला द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
पश्चमस्तिष्क को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है :-
अनुमस्तिष्क :- यह ऐच्छिक क्रियाओं की सटीकता तथा शरीर की स्थिति एवं संतुलन का नियंत्रण करता है। उदाहरण के लिए, पैन उठाना।
मेडुला :- यह अनैच्छिक कार्यों पर नियंत्रण का कार्य करती है। उदाहरण के लिए, रक्तचाप और वमन।
पॉन्स :- यह अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है। उदाहरण के लिए, श्वसन।
प्रश्न :- मस्तिष्क और मेरुरज्जु की सुरक्षा किस प्रकार की जाती है?
उत्तर :- मस्तिष्क और मेरुरज्जु की सुरक्षा निम्नलिखित प्रकार से की जाती है :-
मस्तिष्क की सुरक्षा :- मस्तिष्क हड्डियों के एक कठोर (ठोस) ढांचे, खोपड़ी में स्थित होता है। खोपड़ी के अंदर मस्तिष्क एक तरल से भरे गुब्बारे की आकृति वाले क्षेत्र में रखा होता है, जो इसे किसी भी प्रकार के झटकों से बचाता है।
मेरुरज्जु की सुरक्षा :- मेरुरज्जु की सुरक्षा रीढ़ की हड्डी (कशेरुकदंड) करता है, जो इसे बाहरी चोटों से बचाता है।
प्रश्न :- तंत्रिका तंत्र अथवा विद्युत संकेतों की क्या सीमाएँ होती हैं?
उत्तर :- विद्युत संकेतों या तंत्रिका तंत्र की सीमाएँ इस प्रकार हैं :-
1. विद्युत संवेग सिर्फ तंत्रिका तंत्र से जुड़ी कोशिकाओं में ही यात्रा कर सकते हैं, अन्य कोशिकाओं में यह संवेग पहुँच नहीं पाते है।
2. एक बार विद्युत आवेग उत्पन्न होने के पश्चात, कोशिका को फिर से अगले आवेग के लिए तैयार होने में कुछ समय लगता है, अर्थात यह लगातार आवेग उत्पन्न नहीं कर सकती है।
3. पौधों में कोई विशिष्ट तंत्रिका तंत्र नहीं पाया जाता है।
प्रश्न :- रासायनिक संचरण की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर :- रासायनिक संचरण का उपयोग विद्युत संचरण की सीमाओं को दूर करने के लिए प्रारंभ हुआ।
प्रश्न :- पौधों में समन्वय किस प्रकार होता है?
उत्तर :- पौधों में दो प्रकार की गतियाँ देखी जाती हैं :-
1. वृद्धि पर आधारित होती है और
2. वृद्धि से स्वतंत्र होती है।
नोट :-
जंतुओं में शरीर की क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय करने के लिए तंत्रिका तंत्र मौजूद होता है, लेकिन पौधों में न तो तंत्रिका तंत्र होता है और न ही पेशियाँ मौजूद होती हैं। फिर भी, पौधे उद्दीपन (stimuli) के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं।
प्रश्न :- उद्दीपन के प्रति तत्काल प्रतिक्रिया में पौधे किस प्रकार की प्रक्रिया का उपयोग करते हैं?
उत्तर :- यह प्रतिक्रिया वृद्धि पर आधारित नहीं होती।
1. पौधे विद्युत-रासायनिक प्रक्रियाओं का उपयोग करके एक कोशिका से अन्य कोशिकाओं तक सूचनाएं पहुँचाते हैं।
2. कोशिकाएँ अपने भीतर जल की मात्रा को बदलकर गति उत्पन्न करती हैं, जिससे कोशिकाएँ फूलती अथवा सिकुड़ती हैं।
उदाहरण :-
छुई-मुई पौधे की पत्तियों का छूने पर सिकुड़ जाना।
प्रश्न :- वृद्धि के कारण होने वाली गति को क्या कहा जाता है?
उत्तर :- यह गतियाँ दिशिक या अनुवर्तन गतियाँ होती हैं, जो उद्दीपन के कारण उत्पन्न होती हैं।
उदाहरण :-
प्रतान :- प्रतान का वह हिस्सा, जो वस्तु से दूर स्थित होता है, वह वस्तु के नजदीक वाले हिस्से की तुलना में तेजी से गति करता है, जिससे प्रतान वस्तु के चारों ओर लिपट जाता है।
प्रश्न :- वृद्धि के कारण होने वाली गति में पौधों का कौन सा हिस्सा किस दिशा में बढ़ता है? उदाहरण के साथ समझाइए।
उत्तर :- वृद्धि के कारण गति के उदाहरण :-
1. प्रकाशानुवर्तन :- इस गति में पौधे का हिस्सा (जैसे तना या पत्तियाँ) प्रकाश की दिशा में बढ़ता है।
2. गुरुत्वानुवर्तन :- यह गति पौधों की जड़ों और तनों में होती है, जिसमें जड़ें धरती की तरफ (गुरुत्वाकर्षण की दिशा में) और तना इसके विपरीत दिशा में बढ़ता है।
3. रासायनानुवर्तन :- इस गति में पराग नली अंडाशय की दिशा में बढ़ती है।
4. जलानुवर्तन :- यह गति जड़ों में होती है, जो पानी की दिशा में बढ़ती है।
प्रश्न :- पादप हॉर्मोन क्या होते हैं और ये पौधों के किस-किस कार्य में योगदान करते हैं?
उत्तर :- पादप हॉर्मोन वे रासायनिक पदार्थ होते हैं जो पौधों के विभिन्न जैविक कार्यों को समन्वयित और नियंत्रित करते हैं। ये हॉर्मोन पौधे में प्रतिक्रियाओं, वृद्धि और विकास को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न :- मुख्य पादप हॉर्मोन के कार्यों की व्याख्या करें।
उत्तर :- मुख्य पादप हॉर्मोन के कार्यों की व्याख्या निम्नलिखित है :-
1. ऑक्सिन: इसकी उत्पत्ति पादप के अग्रभाग (टिप) में होती है और यह कोशिकाओं की लम्बाई में वृद्धि को बढ़ावा देता है।
2. जिब्बेरेलिन: यह हॉर्मोन तने की वृद्धि करने में सहायक होता है, जिससे पौधों का आकार बढ़ता है।
3. साइटोकाइनिन: यह हॉर्मोन फलों और बीजों में कोशिका के विभाजन को की गति को तीव्र करता है। यह मुख्यतः फलों और बीजों में अधिक मात्रा में पाया जाता है।
4. एब्सिसिक अम्ल: यह हॉर्मोन वृद्धि को नियंत्रित करता है। पत्तियों का मुरझाना इसी के प्रभाव से होता है।
प्रश्न :- जंतुओं में हॉर्मोन किस प्रकार से कार्य करते हैं?
उत्तर :- जंतुओं में रासायनिक समन्वय हॉर्मोन के माध्यम से होता है। ये हॉर्मोन अंत: स्रावी ग्रंथियों द्वारा उत्पन्न होते हैं और रक्त के जरिए शरीर के विशिष्ट अंगों तक पहुंचते हैं, जहाँ इनका कार्य होता है।
प्रश्न :- हॉर्मोन और अंतःस्रावी ग्रंथियों के बीच संबंध को स्पष्ट करें और हॉर्मोन के कार्य पर प्रकाश डालें।
उत्तर :- हॉर्मोन :- हॉर्मोन वे रासायनिक पदार्थ अथवा यौगिक होते हैं जो जंतुओं की शारीरिक क्रियाओं, वृद्धि और विकास के समन्वय में मदद करते हैं।
अंतः स्रावी ग्रंथियाँ :- यह वे ग्रंथियाँ होती हैं जो अपने द्वारा उत्पादित हॉर्मोन को सीधे रक्त में स्रावित कर देती हैं, जिससे आगे चलकर वे शरीर के विभिन्न हिस्सों में कार्य करते हैं।
प्रश्न :- हॉर्मोन की विशेषताओं को स्पष्ट करें और यह किस प्रकार शरीर के विभिन्न अंगों में कार्य करते हैं?
उत्तर :- हॉर्मोन की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं: –
1. हॉर्मोन रासायनिक संदेशवाहक के रूप में कार्य करते हैं।
2. ये अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं।
3. हॉर्मोन सीधे रक्त में मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचते हैं।
4. ये केवल विशेष अंगों अथवा ऊतकों पर ही प्रभाव डालते हैं, जिन्हें लक्ष्य भी अंग कहा जाता है।
प्रश्न :- हॉर्मोन, अंतःस्रावी ग्रंथियों और उनके कार्यों के बारे में विस्तार से समझाएं।
उत्तर :- हॉर्मोन, अंतःस्रावी ग्रंथियाँ और उनके कार्य निम्नलिखित है :-
1. थायरॉक्सिन (Thyroxine) :- यह हॉर्मोन अवटुग्रंथि (थायरॉयड ग्लैंड) द्वारा उत्पन्न होता है, यह गर्दन में स्थित होता है।
कार्य :- कार्बोहाइड्रेट, वसा , और प्रोटीन के उपापचय को नियंत्रण में रखना, जिससे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है और विकास की प्रक्रिया सही तरीके से चलती है।
2. वृद्धिहॉर्मोन (Somatotropin) :- यह हॉर्मोन पीयूष ग्रंथि (पिट्यूटरी ग्लैंड) द्वारा उत्पन्न होता है, यह मस्तिष्क के निचले हिस्से में पाया जाता है।
कार्य :- इस हॉर्मोन का कार्य शरीर के विकास और वृद्धि को नियंत्रण में रखना है। यह हॉर्मोन बचपन और किशोरावस्था में शरीर के विकास को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
3. एड्रेनलिन (Adrenaline) :- अधिवृक्क ग्रंथि (एड्रीनल ग्लैंड) द्वारा स्रावित होने वाला यह हॉर्मोन वृक्क (किडनी) के ऊपर स्थित होती है।
कार्य :- एड्रेनलिन आपातकालीन स्थिति में शरीर की त्वरित प्रतिक्रिया को बढ़ाता है। यह हृदय की धड़कन, रक्तदाब, और श्वास को तेज करने का कार्य करता है, जिसके फलस्वरूप शरीर तनावपूर्ण स्थितियों में बेहतर प्रतिक्रिया कर पाता है।
4. इंसुलिन (Insulin) :- अग्न्याशय (पैंक्रियास) द्वारा स्रावित यह हॉर्मोन उदर के ठीक नीचे स्थित होता है।
कार्य :- इंसुलिन का प्रमुख कार्य रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) की मात्रा को नियंत्रण में रखना होता है, जिससे कि शरीर को निरंतर ऊर्जा की आपूर्ति होती रहे।
5.1 लिंग हॉर्मोन-टेस्टोस्टेरोन (Sex Hormone – Testosterone) :- यह हॉर्मोन वृषण (अंडकोष) द्वारा स्रावित होता है।
कार्य :- यह हॉर्मोन मुख्यतः नर के शरीर में यौवनारंभ से संबंधित बदलावों को नियंत्रित करता है, उदाहरण के लिए शारीरिक विकास और यौन परिपक्वता।
5.2 लिंग हॉर्मोन-एस्ट्रोजन (Sex Hormone – Estrogen) :- यह हॉर्मोन अंडाशय (ओवरी) द्वारा स्रावित होता है।
कार्य :- मादा के शरीर में यौवन के समय शारीरिक और यौन परिवर्तन को नियंत्रण में रखता है।
6. मोचक हॉर्मोन (Releasing Hormone) :- यह हॉर्मोन हाइपोथैलमस (मस्तिष्क के एक हिस्से) द्वारा उत्पन्न होता है।
कार्य :- मोचक हॉर्मोन का कार्य पीयूष ग्रंथि से विभिन्न हॉर्मोनों का स्राव को उत्तेजित करना होता है, जो शरीर के विभिन्न शारीरिक क्रियाओं को संतुलित और नियंत्रित करते हैं।
प्रश्न :- तंत्रिका क्रियाविधि और हॉर्मोन क्रियाविधि में क्या अंतर है?
उत्तर :- तंत्रिका क्रियाविधि और हॉर्मोन क्रियाविधि में निम्नलिखित अंतर है :-
तंत्रिका क्रियाविधि | हॉर्मोन क्रियाविधि |
1. विद्युत आवेग की वजह से एक्सॉन के अंत में रासायनिक पदार्थों का विमोचन होता है। | 1. यह रक्त के माध्यम से शरीर में प्रसारित होने वाला एक रासायनिक संदेश होता है। |
2. इसमें सूचना बहुत ही तेज गति से संचालित होती है। | 2. इसमें सूचना की गति अपेक्षाकृत धीमी होती है। |
3. इसमें सूचना विशिष्ट कोशिकाओं अथवा तंत्र कोशिकाओं तक ही सीमित होती है। | 3. इसके अन्तर्गत सूचना पूरे शरीर में रक्त द्वारा पहुंचती है तथा कोई भी विशिष्ट कोशिका इसे ग्रहण कर सकती है। |
4. इसमें प्रतिक्रिया तुरंत प्राप्त होती है। | 4. इसमें प्रतिक्रिया में समय लगता है और यह धीरे-धीरे होती है। |
5. इसका प्रभाव तात्कालिक तथा अल्पकालिक भी होता है। | 5. इसका प्रभाव दीर्घकालिक तथा स्थायी भी हो सकता है। |
प्रश्न :- आयोडीन युक्त नमक क्यों आवश्यक है?
उत्तर :- आयोडीन युक्त नमक हमारे स्वास्थ्य को अच्छा बनाने के लिए अति आवश्यक है क्योंकि यह अवटुग्रंथि (थायरॉइड ग्रंथि) को थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आवश्यक आयोडीन प्रदान करता है। थायरॉक्सिन हॉर्मोन शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के उपापचय को नियंत्रित करता है, जिससे शरीर की सही कार्यप्रणाली सुनिश्चित होती है, तथा संतुलित वृद्धि होती है। आयोडीन की कमी होने पर अवटुग्रंथि ठीक से कार्य नहीं कर पाती और इसके परिणामस्वरूप गला फूलने की समस्या उत्पन्न होती है, जिसे गॉयटर (घेघा) बीमारी कहते हैं।
प्रश्न :- मधुमेह (डायबिटीज) क्या है और इसका उपचार क्या है?
उत्तर :- मधुमेह :- एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें शरीर में रक्त के भीतर शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है।
कारण :-
अग्न्याशय (पैन्क्रियास) ग्रंथि से इंसुलिन हॉर्मोन का उत्पादन कम होने के कारण यह बीमारी हो जाती है। इंसुलिन हॉर्मोन रक्त के भीतर शर्करा के स्तर को नियंत्रिण में करने का कार्य करता है।
उपचार :-
मधुमेह का उपचार मुख्यतः इंसुलिन हॉर्मोन के इंजेक्शन से किया जाता है। यह रक्त के भीतर शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने का कार्य करता है।
प्रश्न :- पुनर्भरण क्रियाविधि क्या है और इसका कार्य क्या है?
उत्तर :- पुनर्भरण क्रियाविधि (Feedback Mechanism) :- एक जैविक प्रक्रिया होती है जो शरीर में हॉर्मोनों के स्राव को नियंत्रण में रखने का कार्य करती है, जिससे कि वे सही मात्रा में तथा सही समय पर स्रावित हों। हॉर्मोन का स्राव कम अथवा अधिक होने पर यह शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालते है। पुनर्भरण क्रियाविधि इसी को सुनिश्चित करती है कि हॉर्मोन का स्राव संतुलित रहे।
उदाहरण :-
रक्त में शर्करा का नियंत्रण